“माँ तुम कितनी अच्छी हो”
“भैया!”
“आज पिंकी का जन्म-दिन है””मैने इस ज़मीन को अपने खून से सींचा है… ”
“वो एक गन्दी नाली का कीडा है”
“कुत्ते! कमीने! …..”
“इसे धक्के मारके बाहर निकाल दो ”
“ज़बान को लगाम दो ..”
“तुने मेरे पीठ पे छुरा भोंका है””मै कहती हूँ, दूर हो जा मेरी नज़रों से” ” मैंने तुम्हे क्या समझा, और तुम क्या निकले!”
“तुम मुझे ग़लत समझ रही हो….काश मैं सच्चाई बता सकता”
“घर में दो-दो जवान बेटियाँ हैं” “बेटी, तू तो पराया धन है”
“भगवान मैने तुमसे आज तक कुछ नहीं माँगा…..”
“मै तुम्हारे बिना नहीं जी सकती ”
“मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ.”
“अब हम किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहे…” ” क्या इसी दिन के लिए तुझे पाल-पोस के बड़ा किया था?”
“इस घर के दरवाज़े, तुम्हारे लिए हमेशा के लिए बंद हैं”
“तुम्हारे ख्याल कितने नीच है”
“खबरदार जो मुझे हाथ भी लगाया ..”
“छोड़ दो मुझे, भगवान के लिए छोड़ दो”
“अब सब ऊपर वाले के हाथ में है”
“I’m sorry, हम कुछ नहीं कर सके”
“24 घंटे तक होश नहीं आया तो ….. ”
“मैं कहाँ हूँ?”
“बोल! बोल हीरे कहाँ छुप्पा रखे है”
“वो कुत्ते की मौत मरेगा”
“इंसपेक्टर! गिरफ्तार कर-लो इसे ”
“कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं”
“मैं इस गीता पर हाथ रखकर यह सौगंध लेता हूँ की जो भी कहूँगा सच कहूँगा, और सच के सिवा कुछ नहीं कहूँगा.”
“कानून जज़्बात नही, सबूत देखता है”
“गवाहों के बयानात और सबूत को मद्दे-नज़र रखते ताज-ऐ-रात-ऐ-हिंद, दफा 302 के तहेत, मुजरिम को सजाए मौत दी जाती है”
“भगवान पे भरोसा रखो. सब ठीक हो जाएगा”
“भैया!”
“पुलिस मेरे पीछे लगी हुई है ..”
“अपने आप को पुलिस के हवाले कर दो. पुलिस ने चारों तरफ़ से तुम्हे घेर लिया है”
“ड्राईवर, गाड़ी रोको”
“मै यह तुम्हारा एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूंगा”
“बॉस! माल पकड़ा गया”
“अब तुम्हारी माँ हमारे कब्जे में है”
“गोली से उड़ा दो उससे”
“अगर माँ का दूध पिया है तो सामने आ.”
“ज्यादा होशियारी करने की कोशिश म़त करना ”
“भैया!”
“नहीं छोडूंगा तुझे. जान से मार डालूँगा.”
“रुक जाओ! कानून को अपने हाथ में मत लो”
“अपने हथियार फ़ेंक दो”
“भैया!”
“यह खून मैंने किया है, माय लोर्ड!”
“मै तुम्हारा एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूंगा”
“मुजरिम को बा-इज्ज़त बरी किया जाता है”
“पुलिस को तुम जैसे नौजवानों पर नाज़ है”
“ठहरो! यह शादी नहीं हो सकती!”
“तुम मेरे लिए मर चुके हो.. ”
“एक बार मुझे माँ कहकर पुकारो बेटा”
“माँ तुम कितनी अच्छी हो”
“भैया!”
तो ये हैं वो तमाम स्टीरियोटाइप डॉयलॉग जो हम कई दशकों से हिन्दी फिल्मों में सुनते चले आए हैं। इसका एक दिलचस्प संकलन राजीव पंत की वेबसाइट पर देखने को मिला। मैंने उनमें से कुछ को सिर्फ एक सीक्वेंस में रख दिया है। शायद आपको यह किसी फिल्म के साउंडट्रैक और कहानी (?) जैसा मजा दे।